शिक्षक कभी सेवानिवृत्त नही होते हैं, सेवाकाल में रहते हुए वह मासूमों को शिक्षा और संस्कार देते हैं तो अवकाश ग्रहण के पश्चात अपने अनुभवों के आधार पर समाज का मार्गदर्शन करते हैं, वह राष्ट्र निर्माता हैं, इसीलिए गुरू की उपाधि माता-पिता से भी बढ़कर बताई गई है।