कोरोना काल में उत्तर प्रदेश के हरेक हिस्से में भाजपा कार्यकर्ताओं ने असहाय एवं श्रमिक वर्ग की हर सम्भव मदद की
वर्तमान में सम्पूर्ण विश्व एक अप्रत्याशित संकट से जूझ रहा है। विश्व के अनेक साधन सम्पन्न देश हताशा-निराशा में हैं। उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। लेकिन ऐसे में भारत जैसा विशाल जनसंख्या तथा अल्प संसाधन वाला देश कुशल नेतृत्व क्षमता और अदम्य इच्छाशक्ति के बल पर इस संकट की घड़ी में बड़ी मजबूती के साथ लड़ाई लड़ रहा है। किसी भी कार्य को करने के लिए शक्ति की आवश्यकता होती है। वह शक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों हो सकती है, किन्तु एक तीसरी शक्ति होती है दृढ इच्छाशक्ति। यह शक्ति इन दोनों ही शक्तियों के ऊपर है। यह शक्ति न केवल मनुष्य को बहुत मजबूत बनाती है बल्कि कठिन से कठिन काम करने के लिए तैयार करते हुए सफलता तक ले जाती है।
आज इसी शक्ति की बहुत ही जरूरत है। क्योंकि वर्तमान समय में सम्पूर्ण विश्व एक अप्रत्याशित संकट से जूझ रहा है। कोरोना के चलते मानवता पर संकट के बादल छाए हुए हैं। विश्व के अनेक साधन सम्पन्न और हर मामले में मजबूत देश भी हताशा-निराशा में हैं। उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। लेकिन ऐसे में भारत जैसा विशाल जनसंख्या तथा अपेक्षाकृत अल्प संसाधन वाला देश कुशल नेतृत्व क्षमता और अदम्य इच्छाशक्ति के बल पर इस संकट की घड़ी में बड़ी मजबूती के साथ लड़ाई लड़ रहा है। देश के किसी भी नागरिक पर किसी भी तरह का कोई संकट न आने पाए, उसके लिए केंद्र सरकार की ओर से हर संभव कोशिश की जा रही है।
दूसरी ओर इस दौरान जो अनूठी बात रही वह यह कि भारतीय जनता पार्टी के कुशल एवं साहसी कार्यकर्ताओं ने दिन-रात मेहनत करके वैश्विक परिदृश्य में राजनीति की परिभाषा बदलते हुए यह स्पष्ट किया कि कार्यकर्ता मात्र रैलियों में भीड़ जुटाने, जिन्दाबाद-मुर्दाबाद के नारे लगाने अथवा पार्टी के निजी हितों की रक्षा के लिए नहीं होते है, बल्कि राष्ट्र हित की बात आते ही अपने प्राणों की परवाह किए बिना मां भारती की सेवा में जुट जाने के लिए होते हैं। कोरोनाकाल में यह बात सच साबित भी हुई है। इन देवदुर्लभ कार्यकर्ताओं ने असहाय-निर्धन, निराश्रित लोगों की हर संभव मदद करते हुए उनके भोजन से लेकर उनकी सुरक्षा तक सब अपने कंधे पर लेकर मानवीय संवदेना को उच्च स्तर पर प्रतिष्ठित किया। कई उदाहरण तो ऐसे आए जहां कार्यकर्ता सक्षम नहीं थे, लेकिन उन्होंने खुद की चिंता किए बिना अपने पास जो भी बन सका, वह सब उन भूखे-प्यासों को उपलब्ध कराया, जिनको उस समय बड़ी जरूरत थी। उनके इस समपर्ण भाव को देखकर परिवारीजन से लेकर अन्य संबंधियों ने भी उनका भरपूर सहयोग किया। निश्चित ही आज ऐसे सभी कार्यकर्ताओं का सेवाभाव समाज के लिए एक उदाहरण रूप में है।
यकीनन यह सत्य है कि जब कोई मुखिया चाहे वह किसी परिवार का हो या पार्टी का, वह जब समाज व राष्ट्र हित को प्रमुखता प्रदान करता है तो निश्चित ही परिवार के अन्य सदस्य अथवा पार्टी के कार्यकर्ता उत्साहित होकर अपने नेतृत्व की हर बात को सिर—माथे लेते हुए अपना सर्वस्व अर्पण करने में रंच मात्र भी नहीं सोचते। यही कारण है कि कार्यकर्ता आधारित भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा के ओजस्वी नेतृत्व में सम्पूर्ण देश के देवतुल्य कार्यकर्ताओं ने एक मिसाल कायम करते हुए गांव—शहर, गली, मोहल्ले या अन्यत्र कहीं भी इस संकट के दौर में फंसे लोगों की हर संभव मदद की। इस कड़ी में केवल उत्तर प्रदेश में ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री स्वतंत्र देव सिंह एवं संगठन महामंत्री श्री सुनील बंसल की कुशल रणनीति से कार्यकर्ताओं ने 4 करोड़, 32 लाख भोजन के पैकेट जहां वितरित किये गए वहीं 92 लाख 44 हज़ार मास्क भी देने का काम किया गया। श्रमिक प्रवासियों के लिए 185 स्थानों पर राहत सेवा केन्द्र संचालित करने की बात हो या फिर, 10 लाख 33 हज़ार श्रमिकों के भोजन की व्यवस्था या 47 हज़ार लोगों को पदवेश आदि उपलब्ध करवाकर उनकी मदद करने का काम कार्यकर्ताओं ने किया।
पं. दीनदयाल उपाध्याय जी का अंत्योदय का विचार समाज के अंतिम व्यक्ति तक सभी लाभ पहुंचाने की बात करता है। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर छोटे से छोटा कार्यकर्ता दीनदयाल जी के उसी सपने को साकार करने का हर सम्भव प्रयास कर रहा है। कोराना काल में उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा विषम परिस्थिति में किए गए कार्य के दर्शन हुए। वह अपने प्राणों की परवाह किए बिना हर जगह तत्परता से लोगों तक मदद पहुंचाने में लगे थे। चाहे उत्तर प्रदेश के सोनभद्र के वनवासी इलाके में वनवासी समाज की सेवा की बात हो या पश्चिम बंगाल में गरीब-असहाय जनों की मदद या फिर ओडिसा, छत्तीसगढ़ या देश के अन्य प्रदेश में असहाय व निराश्रितों की सेवा। सभी जगह इन कार्यकर्ताओं ने अपनी शक्ति के अनुरूप समाज को मदद देने का काम किया।
सौजन्य से पाञ्चजन्य