मुझे अपने पुराने दिन याद हैं कि किस तरह इंजीनियरिंग परीक्षाओं के लिए मैं और दूसरे साथी दिन-रात जूझा करते थे. आज कई साथी विदेशों में हैं, बड़ी कम्पनियों में हैं. मैं जरा सोशल था तो राजनीति में आ गया. इन्हीं पुराने साथियों से बातचीत में दरअसल इस तरह का कुछ करने का विचार आया, जो सबके सहयोग से हकीकत में बदल चुका है.